नेगानार गांव राष्ट्रीय राज मार्ग क्रमांक ३० के पास बसा हुआ है, Hinglaj Mata की कहानी गांव का बसाहट कई पीढ़ियो से माटी पुजारी सुदरू पिता सुकडू (मुरिया जनजाति) पूर्व में इनके पुर्वजों के द्वारा बसाया गया जलनी माता की सेवा करके गांव के मध्य डांड गुड़ी से सेवा के पश्चात् गांव को बसाया गया जलनी माता के द्वारा गांव के चारो तरफ सर में कलश रख कर व गांव का सीमा ( संध) निर्धारण किया गया। माटी पुजारी सुदरू पिता सुकडू के वशंज अधिकतर जनजाति के समुदाय के लोग निवास करतें है, मुरिया, धुरवा पुर्व से निवासरत है तथा अन्य समुदाय के लोग भी निवासरत है कलार, माहरा लोग निवासरत है।
Hinglaj Mata की सामान्य जानकारीः-
- ग्राम की प्रमुख देवी / देवता का नाम – जलनी माता
- प्रमुख गुड़ी – गांव के मध्य जलनी माता गुड़ी
- माटी पुजारी का नाम – आशा राम मौर्य (मुरिया जनजाति से)
- गांव के प्रमुख अन्य देवी/देवताओं के नाम – परदेशिन माता, बाबु लंगुर, दुआर मुंडिया
- प्रमुख जात्रा व मड़ई बाजार – प्रतयेक वर्ष १. अमुस जात्रा २. धान नवा जात्रा ३. दियारी जात्रा ४. आमा नवा जात्रा ( माटी तिहार) व तीन वर्ष में मड़ई बजार का आयोजन होता है।
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जात्रा व मड़ई बाजार – नेगानार में जात्रा व मड़ई बाजार के एक सप्ताह पूर्व जलनी माता से अनुमति लेकर पेरी भाइयो (जामावाड़ा व कोण्डलूर) सहित आस- पास के प्रमुख देवी देवताओं को नेवता दिया जाता है।
पेरी विदाई कार्यक्रम कोण्डलूर के पेरी भाईयो के साथ माता गुड़ी के समीप जुहार भेंट कर विदाई किया जाता है तथा इसके पश्चात् जमावाड़ा के पेरी भाईयों के साथ माता गुड़ी कोंजामुडा समीप जुहार भेंट कर विदाई किया जाता
मावलीमाता का विवरण :- ग्राम केशापुर में विगत कई वर्षों से अपने आप उत्पन हुये पूर्वज लोग मावली माता की श्रद्धापूर्वक पुजा करते थे। हर त्यौहार को मनाते रहने के कुछ वर्षों के बाद माता की शक्ति कम होने लगी गांव में दुःख दण्ड अशांति आने लगा गांव में अहाकार मच गया। माता के प्रथम पुजारी श्री सोमा धुरवा एवं सभी ग्रामवासी परेशान होकर पास के गांव मावलीपदर बड़े गुड़ी में पुजा में शामिल होने चले गये। उस पुजा में गांव के दुःख दर्द बिगड़ते हालात को बताये बड़ेगुड़ी के मावलीमाता एवं अपने बहन हिंगलाजिन माता गांव की दुःख भरी समस्या सुनकर अत्यंन्त दुःखी हुए।
हिंगलाजिन माता ने कहा कि मैं स्वयं आकर गांव की रखवाली करूगीं। तब से गांव में सुख-शांति होने लगा।
माता पुजा -* सर्व प्रथम मावलीमाता की पुजा होती है गांव में किसी प्रकार की त्यौहार मंडई मेला, बजार होने से मावलीमाता की पुजा अर्चना की जाती है, उसके पश्चात् इंग्लाजिन माता एवं अन्य देवी- देवताओं की पुजा होती है।
इंग्लाजिन माता की विशेषता
- माता का नाम – इंग्लाजिन माता
- पुजारी का नाम- श्री लैखन राम ( इस पुजारी को इंग्लाजिन माता आने पर सभी गांव वालों की सहमति द्वारा बनाया गया।
- वर्ग- (ST)
- जाति- धुरवा
इंग्लाजिन माता विस्तापन की मूल उद्धेश्य:-
- ग्राम केशापुर में जब से इंग्लाजिन माता ग्राम मावलीपदर बड़ेगुड़ी से आकर विराजमान हुई तब से गांव में सुख-शांति एवं समृद्धि का वातावरण बनने लगा।
- माता की पुजा :- इंग्लाजिन माता की पुजा प्रत्येक शनिवार एवं मंगलवार को होती है जो कोई भी श्रद्धालु या गांववाले माता की पुजा में शामिल होते हैं पुजारी श्री लैखन राम से मन्नत मांगा जाता है वह मनंत पूरा होता है । मनत पूरा होने से अपनी स्वेच्छा से बकरा, बत्तख, मुर्गी, रू. पैसा एवं अन्य सामग्री भेंट स्वरूप चढ़ाया जाता है।
- इस आस्था और विश्वास को देखकर गांव वाले के मन में ख्याल आया की इसी खुशी में मड़ई मेला, बजार बनाने का निर्णय लिया गया।
- मेला मड़ई, बजार बनाने की अनुमति :- ग्राम मावलीपदर में बड़ेगुड़ी के मावलीमाता से अनुमति मांगा गया। अनुमति मांगने पर १ वर्ष बजार एवं १ वर्ष मंडई बनाने का अनुमति मिला तब से हर वर्ष बजार एवं मंडई मेला का आयोजन होता है।
- माता का क्षेत्र :- ग्राम सेड़वा, छिन्दबहार, चिंगपाल, गाड़मगुड़ा ।
- पेरी गांव :- सल्फीगुड़ा।
- जांगीबाई जुहार भेंट :- ग्राम कोलेंग, कोटमसर ।
- भजली मित :- ग्राम टोपर |
मेला मंडई या बजार का डोंडामाल (आमंत्रण-पत्र)
माता का हुकूम मांगकर डोंडामाल के रूप में थोड़ी मात्रा में चावल एवं हजारी फुल को पत्ते में चिपटकर आस-पास के गांव क्षेत्र पेरी गांव, भजली गांव को जहार भेंटकर निर्धारित तिथि में बजार या मंडई के रूप में दिया जाता है। इस प्रकार सभी गांव वालों द्वारा अपने-अपने देवी-देवताओं के साथ मंडई, बजार में आते हैं । साप्ताहिक बाजार में गांव के कोटवार द्वारा मुनादी करायी जाती है।
मेला मंडई या बजार का उत्सव
- मेला स्थल में दुकान :- इस दिन दुकानदारों एवं अन्य सामग्री विक्रय वाले सुबह से ही दुकान लगाना चालू करते हैं।
- देवी- देवताओं का आगमन एवं पुजा अर्चना एवं मेला स्थल का भ्रमण :- आस-पास के क्षेत्रों से एवं गांव से देवी-देवताओं की ढोली, छतर, लाट, हांगा देव इत्यादि देवी – देवताओं को संबंधित गांव के पुजारी, गुनिया, सिराह एवं मुखियाओं द्वारा मंडई, बजार स्थल में लाया जाता है। जिन्हें सम्मान पूर्वक अभिवादन व आरती कर गुड़ी एवं मंड़ई मेला में प्रवेश करायी जाती है उसके पश्चात देवी-देवताओं की पूजा अर्चना कर फुल माला एवं भोग चढ़ाया जाता है व मेला स्थल का भ्रमण कराया जाता है । इस प्रकार मेला सम्पन्न कराया जाता है।
- देवी-देवताओं की विदाई एवं जातरा आयोजन :- मेला सम्पन्न होने के तुरन्त पश्चात दो गांव की देवी-देवताओं की विदाई की जाती है- १ ग्राम बिरींगपालीन माता, २ मावलीपदरीन बेताल माता उसके बाद दुसरे दिन कुटुम्ब जातरा आयोजित किया जाता है जिसमें प्रमुख देवी इंग्लाजिन माता, बाबुदेव, जमावड़ीन माता को बली के रूप में बकरा, बत्तख, सुअर, भेंट स्वरूप दिया जाता है एवं अन्य सभी देवी-देवताओं को नारियल एवं फुलमाला का चढ़ायी जाती है। एवं गांव से आये पुजारी, गुनिया, सिराह, अन्य लोगों का भोजन कराया जाता है उसके पश्चात भारी-भारी से गांववार देवी-देवताओं की विदाई की जाती है।